*खाटू श्याम की कहानी*
Thu, 08 Aug 2024
*खाटू श्याम की कहानी*
खाटू श्याम जी की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। खाटू श्याम, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त और वीर योद्धा के रूप में जाना जाता है, का असली नाम बर्बरीक था। बर्बरीक महाभारत के युद्ध में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन उनकी कहानी अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक है।
बर्बरीक भगवान भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे। उन्हें उनकी मां से अचूक तीरंदाजी का वरदान प्राप्त था। वह ऐसे महान योद्धा थे कि उन्होंने तीन तीरों के बल पर पूरे महाभारत के युद्ध को समाप्त करने का संकल्प लिया था। बर्बरीक के पास तीन तीर थे, जिनमें से एक तीर हर उस व्यक्ति को चिह्नित कर सकता था जिसे उसे मारना होता था, दूसरा तीर उन सभी को नष्ट कर सकता था जिन्हें पहले तीर ने चिह्नित किया था, और तीसरा तीर उन सबको वापस जीवन दे सकता था जिन्हें वह चाहता था।
महाभारत के युद्ध के समय, जब श्रीकृष्ण को बर्बरीक की अद्वितीय शक्ति का पता चला, तो वे उसकी परीक्षा लेने के लिए उसके पास आए। श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा कि वह युद्ध में किसकी तरफ से लड़ेंगे। बर्बरीक ने जवाब दिया कि वह हमेशा कमजोर पक्ष के साथ रहेंगे, और जिस तरफ वह शामिल होंगे, वह पक्ष मजबूत हो जाएगा। इससे युद्ध का संतुलन हमेशा बदलता रहेगा और कोई भी पक्ष जीत नहीं पाएगा।
श्रीकृष्ण ने यह समझा कि बर्बरीक की शक्ति इतनी प्रबल थी कि वह युद्ध की दिशा को पल भर में बदल सकता था। इसलिए, उन्होंने बर्बरीक से दान के रूप में उनका शीश मांग लिया। बर्बरीक, जो अपने वचन के पक्के थे, बिना किसी संकोच के अपना शीश श्रीकृष्ण को दे दिया।
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के बलिदान की प्रशंसा करते हुए उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वह खाटू श्याम के नाम से पूजे जाएंगे। उनका शीश एक पहाड़ी पर रखा गया, जहां से उन्होंने पूरा महाभारत का युद्ध देखा। उनके बलिदान के कारण, उन्हें कलियुग में "खाटू श्याम" के रूप में जाना जाने लगा।
खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है। यह मंदिर उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यहां पर हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से खाटू श्याम की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस प्रकार, खाटू श्याम जी की कथा हमें भक्ति, निष्ठा और बलिदान का महत्व सिखाती है। उनकी पूजा आज भी अनगिनत लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है, और उनका नाम सच्चे दिल से स्मरण करने से जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।